top of page
Glory of Jainism-04_edited.jpg
Glory of Jainism-04_edited.jpg

BRAHMI & SUNDARI

ब्राह्मी और सुंदरी पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव जी की सुपुत्रियाँ थीं और अयोध्या राज्य की राजकुमारियाँ भी थीं। छोटी उम्र से ही दोनों शिक्षित थी और जल्द ही विभिन्न क्षेत्रों में बहुत जानकार हो गई। ऋषभनाथ जी ने ब्राह्मी को अठारह लेखन लिपियाँ सिखाईं और और सुंदरी को संख्याओं का विज्ञान (अंक-विद्या ) पढ़ाया। इसके निशान वर्तमान कन्नड़ और तमिल में पाए जाते है। 

ऋषभनाथ जी ने ब्राह्मी को 18 लेखन लिपियाँ सिखाईं, जिनमें से एक को ब्राह्मी लिपि के नाम से जानी जाता है। पन्नावन सूत्र (दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व) और समवायंग सूत्र (तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व) आदि अन्य प्राचीन लेखन लिपियों में ब्राह्मी लिपि सबसे ऊपर है।

इस युग में सबसे पहले बेटियों की पढ़ाने का शुरुआत भगवान ऋषभदेव जी ने अपनी दोनों पुत्रियों को देकर करी और बाकियों को भी सन्देश दिया। 

भगवान ऋषभदेव जी ने अपनी दोनों पुत्रियों को स्त्रियों की 64 कलाएं भी सिखाई | जैसे :(नृत्य, पेंटिंग, संगीत, विज्ञान आदि )  ।

Glory of Jainism-04_edited.jpg
  • Youtube
  • Facebook
  • Instagram

© 2023 by Team - Wonderful Jainism

bottom of page