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THE GOD OF HARAPPA
अवसर्पणी (Present Half Cycle) में जब भोगभूमि का अंत होने लगता है, तब कल्पवृक्ष (एक इक्षित वस्तु प्रदान करने वाले वृक्ष ) ख़त्म होने लगते है। तब 14 कुलकर जन्म लेते है। कुलकर अपने समय के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति होते है। वह लोगों को संसारी क्रियाए सिखाते है। राजा नाभिराज इस काल के चौदहवें और आख़िरी कुलकर थे। वे प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव जी के पिता थे ।उन्होंने मानवों को सिखाया कि कैसे नाभिनाल को काटना था और उन्हें सामाजिक राजनीति में संगठित किया था।
पुरातत्व के सबूतों से पता चलता है की महाराजा नाभिराय जी को सिंधु घाटी की सभयता में मोहनजोदड़ो के भगवान के रूप में माना जाता था जो की 4000 वर्ष पुरानी है ।
पुरातत्व के सबूतों के अनुसार "The Priest King" की मूर्ति जो की मोहनजोदड़ो में पाई गई है वो महाराजा नाभीराय जी की है । महाराजा नाभिराय जी को मोहनजोदड़ो में धर्म प्रवर्तक के रूप में पूजा जाता था । साथ में भगवान ऋषभदेव जी आदि तीर्थंकर भी मोहनजोदड़ो के लोगो के पूज्यनीय थे।
इससे यह साबित होता है की महाराजा नाभिराय जी सिंधु घाटी सभ्यता से पहले थे और जैन धर्म मोहनजोदड़ो के लोगो द्वारा अपना गया था ।
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